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अब हवेली का सन्नाटा… चीखों में बदलने लगा है। आरव की हालत बिगड़ती जा रही है — वो आधी रात को जागकर बोलता है: "कामला आंटी मुझे अपने साथ ले जाएंगी…"

अब हवेली का सन्नाटा… चीखों में बदलने लगा है। आरव की हालत बिगड़ती जा रही है — वो आधी रात को जागकर बोलता है: "कामला आंटी मुझे अपने साथ ले जाएंगी…" आरती पंडित जी को बुलवाती है। पूजा के दौरान जब दीया उल्टा जलने लगता है और घंटी हवा में खुद-ब-खुद बजने लगती है, तो सबको यकीन हो जाता है — हवेली में कोई है… जो अब तक रुका हुआ है। पंडित बताते हैं कि कामला की आत्मा एक माँ के रूप में अटकी हुई है, और उसने आरव को अपना बेटा मान लिया है। अब अगर उसे रोका न गया… तो वो उसे अपने साथ आत्मा की दुनिया में खींच ले जाएगी। एक ओर आरती का मातृत्व, दूसरी ओर कामला की शैतानी ममता — और बीच में फंसी एक निर्दोष जान। कामला Part 3 उस मोड़ पर पहुंचती है जहाँ सवाल ये नहीं होता कि आत्मा है या नहीं… बल्कि ये कि अब किसकी जीत होगी — माँ की… या मरी हुई माँ की

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Season 1

Kamla