Everything you crave Coming right up
जब कंकालों का ढेर रास्ता बन जाए… तो समझो, तुम्हारी मंज़िल 'मुक्ति' नहीं… 'मौत' है।
"जब कंकालों का ढेर रास्ता बन जाए… तो समझो, तुम्हारी मंज़िल 'मुक्ति' नहीं… 'मौत' है।" जंगल अब अपना असली रूप दिखा चुका है। कुछ साथियों की लाशें पेड़ से उल्टी लटकी हुई मिलती हैं — पेट फाड़ा हुआ, आँतें बाहर, आँखें गायब… दल की हिम्मत डगमगाने लगी है। लेकिन लक्ष्मण अब भी डटा है — क्योंकि उसने बेटी को जिंदा या मरा हुआ, पर वापस ले जाने की कसम खा रखी है। और फिर… वो दर्दभरी आवाज़ — "बाबा... मुझे यहां से निकालो..." मशाल की रौशनी में दिखती है एक लड़की… पर क्या वो सच में विमला है? या वो शैतान का आखिरी खेल? चामुंडा Part 8 डर, भ्रम और मांसल नरसंहार का ऐसा संगम है, जहाँ आंखें जो देखती हैं, वो हमेशा सच नहीं होता।
26 Seasons