Everything you crave Coming right up
कुछ लड़ाइयाँ शारीरिक नहीं होती... वो भीतर से हिम्मत को मारती हैं… चुपचाप
"कुछ लड़ाइयाँ शारीरिक नहीं होती... वो भीतर से हिम्मत को मारती हैं… चुपचाप।" जैसे-जैसे जंगल की गहराई बढ़ रही है, दल के लोग टूटने लगे हैं — कोई डर से, कोई घायल होकर। सत्तू, जो अब तक लक्ष्मण के साथ चट्टान बनकर खड़ा था, अब खुद मौत के करीब है। वो कहता है — "मेरी आंखों पर पट्टी बांध दो... ताकि उस शैतान की नज़र मेरे हौसले को न निगल पाए।" जंगल अब सिर्फ जानवरों या आत्माओं का इलाका नहीं रहा, अब यह इंसानों की हिम्मत और डर के बीच की आखिरी जंग बन चुका है। बेटी की तलाश जारी है… लेकिन इस बार जंगल ने उन्हें उनकी सबसे बड़ी कमजोरी दिखा दी है — "भावनाएँ"। चामुंडा Part 7 डर, आस्था, और बलिदान का ऐसा मोड़ है जहाँ फैसला सिर्फ हथियारों से नहीं… बल्कि हिम्मत की आखिरी बूंद से होगा।
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