Everything you crave Coming right up
जब आवाज़ें सच लगें… और परछाइयाँ आपका नाम पुकारें… तो समझो तुम ‘भूतों की जाली’ में दाखिल हो चुके हो…
जब आवाज़ें सच लगें… और परछाइयाँ आपका नाम पुकारें… तो समझो तुम ‘भूतों की जाली’ में दाखिल हो चुके हो…" जंगल अब सिर्फ रास्ता नहीं रहा, वो खुद एक जीव बन चुका है। हर शाखा के पीछे कोई घात लगाए बैठा है, हर कराहती आवाज़… किसी पिशाच का फंदा है। लक्ष्मण और उसका दल अब उस सीमा तक पहुंच चुके हैं जहां से लोग सिर्फ कहानियों में लौटते हैं। कभी कोई औरत की हँसी, कभी पायल की आवाज़, और कभी पीछे से आती दर्दनाक पुकार — "बचाओ..." लेकिन ये आवाज़ें किसी को बचाने के लिए नहीं… उसे फँसाने के लिए होती हैं। चामुंडा Part 5 में जंगल का छल शुरू होता है — जहां डर सिर्फ बाहर नहीं, अंदर भी पनपता है।
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