Everything you crave Coming right up
जिसने एक बार उस जंगल में क़दम रखा... या तो वो मरा मिला… या फिर कभी मिला ही नहीं
जिसने एक बार उस जंगल में क़दम रखा... या तो वो मरा मिला… या फिर कभी मिला ही नहीं।" अब सफर शुरू हो चुका है। लक्ष्मण और उसका दल घने जंगल की उस सीमा में प्रवेश कर चुका है, जिसे "मौत का शिकंजा" कहा जाता है — जहाँ ना सूरज की रोशनी पहुँचती है, ना कोई इंसान। पुजारी की आखिरी चेतावनी थी — "वापसी में कभी पीछे मुड़कर मत देखना। और अगर कोई पीछे छूट गया... तो वो तुम्हारा नहीं रहा।" हर ओर घुप्प अंधेरा, पेड़ों के पीछे छुपी परछाइयाँ, झाड़ियों में हिलती छायाएँ, और हवा में तैरती एक डरावनी फुसफुसाहट — "अगर मुझे नहीं बचाओगे... तो खुद भी नहीं बचोगे...
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